इंदौर 25 मई।बच्चा भले ही दुसरे का हो लेकिन उसे 9 माह तक अपने गर्भ में रखने वाली सेरोगेट मदर के साथ इससे बडा अन्याय और क्या हो सकता है कि जन्म देने के बाद उसे बच्चे का चेहरा तक नहीं दिखाया जाता हैं।
मिनी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर में सेरोगेट मदर बनने का चलन बढ रहा है मध्यम तबके की महिलाए रूप्यों की खातिर अपनी कोख किराए पर दे रही हैं।शहर की एक प्रसिद्व महिला चिकित्सक ने लोकल इंदौर को बताया कि इंदौर में प्रतिमाह 5 से 7 मामले आते है जिनमें इंदौर के अलावा देश के अन्य राज्यों और विदेषों के दंपत्ति भी शामिल होते है।बच्चें की चाह में ये लोग सेरोगेट मदर की तलाश करते है और उसके बाद मध्यम वर्ग की महिलाए ही उनकी मदद के लिए आगे आती हैं।
चिकित्सक ने बताया कि बच्चा चाहने वाली दंपत्ति और सेरोगेट मदर बनने वाली महिला के बीच में एक अनुबंध होता है इसके आधार पर उस महिला को तय समय पर उस राषी का भुगतान किया जाता हैं।राषी कितनी होती है इसका निधारर्ण दोनों अपने हिसाब से करते है।उन्होनें यह भी बताया कि जिस अस्पताल में यह पूरी प्रकिया होती है वह भी इस अनुबंध में एक पक्षकार होता है। इस क्षेत्र में काम कर रही एक अन्य चिकित्सक ने बताया कि दपत्ति के र्स्पम और एम्ब्रोयरो से बने भ्रूण को जो टेस्ट टयुब के जरिए बनाता है उसे सेरोगेट मदर के गर्भाषय में विकसित होने दिया जाता है।इसके बाद वो एक सामान्य गर्भधारण की तरह पूरे 9 माह तक शिशू को अपने गर्भ में रखने के बाद जन्म देती है।जन्म के बाद शिशू को उस दपत्ति को सोंप दिया जाता हैं ।
उन्होनें ये भी बताया कि सेरोगेट मदर को बच्चे का चेहरा नहीं दिखाया जाता हैं।कारण पूछने उसने बताया कि सेरोगेट मदर को पहले ही बता दिया जाता है बच्चा उसका नहीं है इसलिए जन्म देने के बाद उसे बच्चे से दूर कर दिया जाता है।