लोकल इन्दौरः07 सितम्बर,दुष्कर्म के आरोप में जोधपुर जेल में बन्द आसाराम की मुश्किले कम होने का नाम नहीं ले रही है.एक के बाद एक कारनामें सामने आते जा रहे है.उन्होने देश भर में जो आश्रम खोले वे भी विवादों के घेरे में है और अब इन्दौर का आश्रम भी उसमें जुड गया है. जब एक आरटीआई कार्यकर्ता की शिकायत पर जिला प्रशासन की टीम शनिवार को आश्रम की पहुंची और जमीन की नपती करना शुरु कर दी.प्रभारी अधिकारी विजय अग्रवाल(संयुक्त कलेक्टर) पूर्णिमा सिंघी(तहसीलदार) पुरे लवाजम के साथ आश्रम पहुंचें और जमीन की नपती शुरु कर दी है.
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिगिवजय सिंह ने 1998 मे आसाराम को ग्राम लिम्बोदी और बिलावली की बेशकिमाती 6.869हेक्टेयर (27.15बीघा) जमीन गुरुकुल,आश्रम और ध्यानकेन्द्र खोलने के लिए कोडियों के भाव दे दी. सिर्फ 1 रुपये सालाना में इस जमीन के जागीरदार आसाराम बन बैठे. इतना ही नहीं आसाराम ने अपने प्रभाव और हैसियत का इस्तेमाल करते हुए बिलावली तालाब की जमीन भी दबा ली और उसपर अपनी आधुनिक कुटिया बसा ली. सरकार ने जब आसाराम को जमीन लीज में दी थी तो उसमें कुछ पांच शर्तें भी शामिल थी. पहली शर्त भूमि का उपयोग केवल उद्यान (औषधि बगीचा) लगाने एवं योग साधना केन्द्र के लिए ही किया जावेगा. किसी भी सुरत मे पक्का निर्माण इस भूमि में नही होगा. अगर भविष्य मे शासन को इस भूमि की आवश्यकता होगी तो बिना शर्त जमीन ले लेगी. भूमि का अन्य उपयोग नही किया जावेंगा । अन्य उपयोग करने पर भूमि पर अनाधिकृत कब्जा मान कर भूमि वापस ली मानी जावेंगी या भूमि का बाजार मूल्य पेनल्टी सहित वसुला जावेंगा।