लोकल इंदौर 29 जुलाई।बॉलीवुड में अपने जबरदस्त कॉमिक अभिनय से दर्शकों के दिलों में गुदगुदी पैदा करने वाले जॉनी वाकर को बतौर अभिनेता अपने सपनो को साकार करने के लिये बस कंडक्टर की नौकरी भी करनी पड़ी थी. इंदौर में 15 मई 1923 को एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार में जन्मे बदरूदीन जमालुदीन काजी उर्फ जॉनी वाकर बचपन के दिनों से ही अभिनेता बनने का ख्वाब देखा करते थे. वर्ष 1942 में उनका पूरा परिवार मुंबई आ गया. मुंबई में उनके पिता के जान पहचान वाले एक पुलिस इंस्पेक्टर की सिफारिश पर जानी वाकर को बस कंडक्टर की नौकरी मिल गयी. इस नौकरी को पाकर जानी वाकर काफी खुश हो गये, क्योंकि उन्हे मुफ्त में ही पूरी मुंबई घूमने को मौका मिल जाया करता था. इसके साथ ही उन्हें मुंबई के स्टूडियो में भी जाने का मौका मिल जाया करता था. जॉनी वाकर का बस कंडक्टरी करने का अंदाज काफी निराला था. वह अपने विशेष अंदाज में आवाज लगाते “माहिम वाले पेसेन्जर उतरने को रेडी हो जाओ, लेडिज लोग पहले.” इसी दौरान जॉनी वाकर की मुलाकात फिल्म जगत के मशहूर खलनायक एन. ए. अंसारी और के आसिफ के सचिव रफीक से हुयी. लगभग सात आठ महीने के संघर्ष के बाद जानी वाकर को फिल्म “आखिरी पैमाने” में एक छोटा सा रोल मिला. इस फिल्म में उन्हें पारिश्रमिक के तौर पर 80 रूपये मिले, जबकि बस कंडक्टर की नौकरी में उन्हें पूरे महीने के मात्र 26 रूपये ही मिला करते थे. एक दिन बस में अभिनेता बलराज साहनी भी सफर कर रहे थे. वह जॉनी वाकर के पुण्यतिथि पर विशेष हास्य व्यंगय के अंदाज से काफी प्रभावित हुये और उन्होंने जॉनीवाकर को गुरूदत्त से मिलने की सलाह दी. गुरूदत्त उन दिनों बाजी नामक एक फिल्म बना रहे थे. गुरूदत्त ने जॉनी वाकर की प्रतिभा से खुश होकर अपनी फिल्म बाजी में काम करने का अवसर दे दिया. बाजी के बाद वह गुरूदत्त के पसंदीदा अभिनेता बन गये और इसके बाद जॉनी वाकर ने गुरूदत्त की कई फिल्मों में काम किया. नवकेतन के बैनर तले बनी फिल्म टैक्सी ड्राइवर से बदरूद्दीन ने अपना नाम उस जमाने के मशहूर शराब “जानी वाकर” के नाम पर रख लिया. जॉनी वाकर की प्रसिद्धि का एक विशेष कारण यह था कि उनकी हर फिल्म में एक या दो गीत उन पर अवश्य फिल्माये जाते थे, जो काफी लोकप्रिय भी हुआ करते थे. यहां तक कि फाइनेंसर और डिस्ट्रीब्यूटर की यह शर्त रहती कि फिल्म में जॉनी वाकर पर एक गाना अवश्य होना चाहिये. जानी वाकर ने लगभग दस-बारह फिल्मों में हीरो के रोल भी निभाये. उनके हीरो के तौर पर पहली फिल्म थी “पैसा ये पैसा” जिसमें उन्होंने तीन चरित्र निभाये. इसके बाद उनके नाम पर निर्माता वेदमोहन ने फिल्म “जॉनी वाकर” का निर्माण किया. जॉनी वाकर अपने करियर में दो बार फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किये गये. अपने विशिष्ट अंदाज से लगभग पांच दशक तक दर्शकों के दिल में अपनी एक खास जगह बनाने वाले महान हास्य अभिनेता जानी वाकर 29 जुलाई 2004 को इस दुनिया से रूखसत हो गये.