फार्मा इंडस्ट्रीज के​ लिए कोर्ट जाएगा एआईएमपी

लोकलइंदौर  8 मई। प्रदेश की 30 फार्मा इंडस्ट्रीज को सरकारी सप्लाय में शामिल करवाने के लिए एसोएशन ऑफ इंडस्ट्रीज् मध्यप्रदेश न्यायालय की शरण लेन जा रहा है। गुरुवार को सदस्यों की आर्जेन्ट बैठक बुलाई गई है।

मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ विभाग ने 240 दवाईयों की खरीदी के लिए जारी किए टैंडर में विश्व स्वास्थ संगठन के प्रमाणपत्र की अनिवार्यता की शर्त का विरोध किया जा रहा है। इससे मध्यम दर्जे की दवाई निर्माता कंपनिया मैदान से बाहर हो गई है।डब्लूएचओ का प्रमाणपत्र होने पर ही सरकारी सप्लाय में शामिल होने की बात पर बुधवार को एआईएमपी में बैठक बुलाई गई थी। दवाईयों के निर्माता कंपनियों की ओर से कोर्ट जाने की बात पर बैठक में जमकर विवाद हुआ। बैठक में उपस्थित सदस्यों ने एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज की ओर से कोर्ट में जाने का विरोध किया। इस दौरान पदाधिकारियों ने तीखे शब्दों में एक दूसरें को संबोधित किया और चेतावनियां भी दी।इसके बाद फिर से एक अजेंट बैठक गुरुवार को बुलाई गई है। इस बैठक में कौन कोर्ट में जाएगा इस बात पर चर्चा की जाएगी।

– डब्लूएचओ का प्रमाणपत्र का खर्चा लाखों
डब्लूएचओ का प्रमाणपत्र पाने के लिए किसी भी मेडिसिन निमार्ता कंपनी को लाखों रुपए का खर्चा करना होता है। वही इसे पाने की समय अवधि दो वर्ष के अधिक है।
– एक्सपोर्ट के लिए है यह नीति
जानकारी के अनुसार प्रदेश की सभी दवा निमार्ता इकाइयों में गुड मेन्युफेक्टरिंग प्रोटोकॉल लागू किया गया है। इससे औषधियों का निमार्ण गुणवत्ता और सावधानियों का नियंत्रण किया जाता है। ड्रग कंट्रोलर के नियमानुसार भी डब्लूएचओ का प्रमाणपत्र दवाईयों का एक्सपोर्ट करने के लिए उपयोगी होता है ना कि सरकारी सप्लाय में जरुरी है। इस बात को पूर्व में प्रदेश के मुख्य सचिव भी मान चुके है। सूत्रों के अनुसार प्रदेश की चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुचानें के लिए इस नियम को सरकारी सप्लाय में लागू करवाया गया है। जबकि राज्य के मंत्री परिषद के निर्णाय में यह नियम नही है।

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