भगवान श्रीगणेश का महोदर अवतार
भगवान श्रीगणेश का महोदर अवतार ज्ञान ब्रम्ह का प्रकाशक है । उनका वाहन मुषक है । दैत्यगुरू शुक्रचार्य के एक शिष्य का नाम मोहासुर था। मोहासुर ने भगवान सूर्य की तपस्या कर सर्वत्र विजय होने का अवतार प्राप्त कर लिया । गुरू शुक्रचार्य ने उसे दैत्य राज बना दिया । मोहासुर ने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर ली । मोहासुर निश्चिन्त हो कर अपनी पत्नी मदिरा के साथ जीवन व्यतीत करने लगा । दुखी देव गण भगवानसूर्य के पास गए और उनसे मोहासुर से मुक्ति् दिलाने की बात कही । भगवान सूर्य ने देवताओं को एकाक्षर म़ंत्र देकर भगवान महोदर की आराधना करने की सलाह दी । देवताओं की तपस्या के फलस्वरूप् मूषक वाहन पर सवार हो कर भगवान महोदर प्रगट हुए और उन्होने देवताओं की बात सुन कर मोहासुर का बध करने का आश्वासन दिया। महर्षि नारद ने यह सूचना मोहासुर को दी कि भगवान महोदर उसका बध करने के लिए आ रहे है। दैत्यगुरू शुक्रचार्य ने भी उसे भगवान महोदर की शरण में जाने को कहा । उसी समय भगवान विष्णु द्वारा भी भगवान महोदर के दूत के रूप में उसके पास गए ओर प्रभु की शरण में जाने ओर देवताओं को परेशान न करने के साथ ही उनका अभयदान लेने की सलाह देने पर उसके अन्दर का अंहकार नष्ट हो गया ओर उसने भगवान विष्णु से महोदर को उसके नगर में लानेऔर दर्शन कराने का अनुरोध किया । भगवान महोदर ने मोहासुर के नगर में प्रवेश कर उसे दर्षन दिए ओर उसने देवताओं को परेशान नही करने ओर पूर्व में किए गए अपराधों के लिए क्षमा मांगी । भगवान ने उसे माफ कर दिया ।