लोकल इंदौर7 जून । इंदौर डिवीजनल ऑप्थेलमोलॉजिलकल सोसायटी के बैनर तले शनिवार को दो दिवसयी ऑप्थेलमोलॉजी टुमॉरो कॉन्फ्रेंस में अहमदाबाद के डॉ. तेजस शाह ने कहा कि हर किसी की आंखों का चश्मा नहीं निकाला जा सकता। हम उस ही स्थिति में मरीज की लेसिक सर्जरी करते हैं जब हम १०० फीसदी श्योर हों। करीब ५ फीसदी ऐसे लोग होते हैं जिनकी आंखों में कॉम्पलीकेशन्स होने पर हम उनकी लेसिक सर्जरी नहीं कर सकते। लेकिन इसके अलावा ऐसे मरीजों के लिए कई अन्य उपाय मौजूद हैं। जिसमें फेकिक लेंस आदि का उपयोग शामिल है। उन्होंनं कहा कि १८ साल की उम्र के बाद चश्मे का नंबर नहीं बढऩा चाहिए तभी लेसिक सर्जरी की जा सकती है।
डॉ. शाह ने कहा कि इंडियन ऑप्थेलमोलॉजिस्ट का स्तर अन्य देशों की अपेक्षा बेहतर है और बढ़ा भी है। अमेरिका, जर्मन, इजिप्ट, आबूधाबी, इंडोनेशिया कई ऐसे देश हैं जहां से डॉक्टर भारत के विभिन्न सेंटर्स पर आते हैं और हम उन्हें ट्रेंड करते हैं। आर्मी में अपनी सेवाएं दे रहे ब्रिगेडियर डह्वॉ. जेकेएस परिहार ने आंखों में ड्रायनेस न बढऩे देने के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि सिस्टम पर लगातार काम करने के दौरान पलकों को झपकाते रहना चाहिए। क्योंकि इससे आंखों की ड्रायनेस खत्म हो जाती है। कॉर्निया का नम रहना बहुत जरूरी है।