Indore :इंदौर में एक ऐसा मंदिर जहां दिन में तीन बार बदलते हैं मां दुर्गा के चेहरे के भाव

शहर में राजवाड़ा के समीप सुभाष चौक पर बने दुर्गा देवी मंदिर का इतिहास होलकर राजवंश से जुड़ा हुआ है। यहां मां दुर्गा की मूर्ति महिषासुर मर्दन करती हुई है और देवी के आठों हाथ अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित हैं। यह मंदिर लकड़ी की सुंदर नक्काशी से सजा हुआ है। एक वक्त यह होलकर राज्य के सेना की चौकी हुआ करता था।
तुकोजीराव होलकर प्रथम को स्वप्न में मां दुर्गा ने दर्शन देते हुए बताया था कि उनकी यह मूर्ति महेश्वर के पास सहस्त्रधारा में है। वहां से मूर्ति इंदौर लाई गई। मूर्ति की स्थापना के लिए तुकोजीराव ने संकल्प लिया कि मूर्ति को हाथी पर विराजित कर नगर भ्रमण कराया जाएगा और जहां भी हाथी रुकेगा वहीं मूर्ति स्थापित की जाएगी। हाथी सेना की इस चौकी पर रुका और इस तरह चौकी मंदिर में परिवर्तित हो गई। यह मूर्ति 1781 में फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को इस मंदिर में स्थापित की गई थी।
मराठी परंपरा से होता है मां का श्रृंगार – सफेद संगमरमर से बनी इस मूर्ति पर तिल भी हैं जो किसी के द्वारा बनाए नहीं गए हैं। कहा जाता है कि दिन में तीन बार मां का स्वरूप बदलता है। सुबह बाल्य अवस्था, दोपहर में युवा अवस्था और शाम को वृद्धा अवस्था के भाव मां के चेहरे पर नजर आते हैं। यहां मराठी परंपरा से ही मां का श्रृंगार भी होता है और पूजा भी उसी परंपरा से होती है। महिषासुर मर्दिनी के साथ मां काली और मां सरस्वती की मूर्ति भी स्थापित है।
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दशमी तिथि पर लगता है पूरण पोली का भोग – मंदिर के मुख्य पुजारी उदय एरंडोलकर बताते हैं कि मंदिर में त्रिदेव स्वरूप तीन शिवलिंग भी है। वासंती और शारदीय नवरात्र के अलावा स्थापना दिवस पर यहां विशेष अनुष्ठान होते हैं। रेलवे स्टेशन से ढाई किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर का जीर्णोद्धार 2017 में हुआ था। दोनों नवरात्र की दशमी तिथि पर यहां पूरण की आरती होती है और पूरण पोली का ही भोग भी लगता है। नवरात्र में देवी का दिन में दो बार श्रृंगार किया जाता है। साभार नईदुनिया डॉट कॉम
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