हाल ही में समाचार पत्रों में बड़ी सुर्खियों में खबर छपी थी…. पुलिस थाना में साँप …….. पुलिस थाना में साँप की खबर पढ़कर सहसा विश्वास नहीं हुआ कि वास्तव में ये सही घटना है या किसी पत्रकार ने यूं ही मनोरंजन के लिए खबर प्रकाशित की है। लेकिन जब थाना में एक पुलिस जवान की बीन बजाते हुये तस्वीर समाचार पत्र में खबर के साथ देखा तो विश्वास करना ही पड़ा।
मेरी इस बात से आप सभी सहमत जरूर होंगे कि एक सामान्य व्यक्ति हो या कोई कितना ही बड़ा बदमाश ….सभी को पुलिस थाना परिसर में जाने से डर जरूर लगता है। हम बिना किसी काम के कभी भी थाना परिसर में जाने के बारे में सोचते तक नहीं, थाना के सामने से गुजरते हैं तो थाना के ओर देखते भी नहीं । तो यह सोचने पर मजबूर हो गया कि आखिर साँप की थाना में जाने की हिम्मत कैसे हुई? उसकी ऐसी क्या मजबूरी थी कि वह थाना में जाकर छुप गया। उसे छुपना ही था तो पुलिस को दिखाई क्यों दिया। इस खबर का सबसे दर्दनाक पहलू यह था कि पुलिस ने साँप को पकड़ने के लिए सँपेरा को बुला लिया। अब साँप/बेचारा तो मुसीबत में पड़ गया। एक तो थाना में पुलिस के बीच और ऊपर से सँपेरा । साँप ने भी ठान लिया कि वह किसी के भी हाथ नहीं आयेगा। करीब दो घंटे की कड़ी मेहनत के बाद साँप पकड़ में तो आ गया लेकिन अपनी जान के चक्कर में सँपेरा को डसना पड़ा।
मुझे तो उस पुलिस वाले की तस्वीर ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया जो बीन बजाकर साँप पकड़ने में सँपेरा की मदद कर रहा था। मन में इस विचार ने भी मंथन करना शुरू कर दिया कि बीन वाकई बहुत काम की चीज है। फिल्मों में तो बीन की धुन पर साँप को खूब नाचते हुये देखा है लेकिन थाना में पुलिस जवान को बीन बजाकर साँप पकड़ने में मदद करने का वाकया पहली बार ही देखा। कहते हैं कि बिच्छू का मंत्र नहीं जानते और साँप के बिल में हाथ डाल दिया। वाकई पुलिस जवान की हिम्मत को दाद देनी चाहिए कि उसने जोखिम उठा कर बीन बजाई और इसमें सफल भी रहा। जब पुलिस जवान बीन बजा सकता है तो वह साँप को भी पकड़ सकता है। बस उसे थोड़ा सा प्रशिक्षण दिया जाये। अब सरकार को चाहिए कि पुलिस वालों को बीन बजाने और देश के सभी थानों में बीन की आपूर्ति करने पर भी विचार करे। पुलिस में भरती के बाद दिये जाने वाले प्रशिक्षण में बीन बजाने और साँप पकडऩे का भी प्रशिक्षण दिया जाये और इसे पाठ्यक्रम में भी जरूर शामिल करें ताकि जब कभी किसी नागरिक के घर में साँप घुस जाये तो भी पुलिस की मदद ली जा सकती है। तभी तो थानों में लिखा रहता है…. देश भक्ति जन सेवा। यानि पुलिस का काम केवल अपराधियों को ही पकड़ना नहीं है बल्कि देशवासियों की मुसीबत के समय मदद करना भी है । साँप पकड़कर नागरिकों की जान बचाने में पुलिस का यह कदम कारगर सिद्ध हो सकता है। वैसे भी हर साल सर्पदंश से सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है…. इनमें से काफी लोगों की जान बचाई जा सकती है.।
एक बात ध्यान देने वाली यह भी है कि जिस तरह बीन बजाकर साँप को पकड़ते हैं, उसी तरह क्या बीन बजाकर अपराधियों को भी पकड़ा जा सकता है ? आप कहेंगे यह क्या बेहूदगी की बात है ? जनाब…. जरा विचार करें…. हमारे देश में सम्मोहन की विधा पर भी भरोसा करते हैं। सम्मोहन का मंत्र बीन की मधुर धुन के साथ उपयोग किया जाये तो मुझे पूरा यकीन है अपराधी खुद-ब-खुद बीन बजाने वाले के पास दौड़ा चला आयेगा। फिर बीन बनाने और सम्मोहन का
प्रशिक्षण के लिए बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इस दिशा में भी गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
वैसे भी जब नागपंचमी का त्यौहार आता है उसी समय यदा कदा कहीं कहीं सपेरे साँप के साथ दिखाई दे जाते हैं। आबादी के दबाव में साँप भी अब अल्पसंख्यक हो गए हैं। मुझे याद है पहले अक्सर साँप दिखाई दे जाते थे लेकिन कई वर्षों से बेचारों के दर्शन नहीं हुये। भला हो उस साँप का जो थाने में घुस गया और खबर बन गया अन्यथा किसी गरीब के घर घुसकर उसे काट भी देता तो खबर नहीं बन पाती। मीडिया के बढ़ते प्रभाव से अब दुनिया का कोई भी प्राणी अछूता नहीं रहा। आए दिन हम न्यूज चैनलों में तरह तरह के प्राणियों के वायरल हुये वीडियो की जांच पड़ताल के किस्से देखते हैं। हो सकता है यह साँप भी इसी से प्रेरित होकर थाने में चला गया हो। अब सच्चाई कुछ भी हो लेकिन यह बात तो सही है कि साँप थाने में घुसा और पुलिस जवान ने पूरी मुस्तैदी से पूरे हाव भाव के साथ बीन बजाई। अब पुलिस थानों में रायफलों के साथ बीन भी टंगी दिखाई दे तो कोई आश्चर्य नहीं करना चाहिए ।
मधुकर पवार
लेखक इंदौर में सरकारी अधिकारी है और साहित्यिक रूचि रखते है.सम्पर्क 9425071942