मामला बुलडोजर का हो या लाउडस्पीकर का और या फिर ताजमहल की याचिका का.देश का हर बड़ा मामला कहीं ना कहीं से इंदौर से जुड़ ही जाता है॰ 10-15 साल पहले सेल यानी स्टील अथार्टी ऑफ इंडिया ने एक कार्पोरेट केपेन चलाया था. उसकी पंच लाइन थी -हर किसी की ज़िदगी से जुड़ा है सेल. उस जमाने में ये एड बहुत मशहूर हुआ और ये लाइनें लोगों की जुबान पर चढ़ गई. यही लाइनें अब कुछ बदले हुए तेवरों के साथ देश के सबसे साफ सुथरे शहर इंदौर पर लागू हो रही है.

आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि अयोध्या के भाजपा नेता डॉ रजनीश सिंह की ताजमहल के 22 कमरे खुलवाने की याचिका इंदौर के इतिहासकार, लेखक और पत्रकार पीएन ओक की दो शोध परक किताबों- ताजमहल तेजोमहालय शिव मंदिर है और ताज महल मंदिर भवन है- में दिए इतिहास और वास्तुकला के अकाट्य तर्कों और तथ्यों के आधार पर लगाई गई थी॰
श्री ओक का जन्म नंदानगर क्षेत्र में हुआ था॰ हालांकि वे आजादी के पहले ही मुंबई चले गए थे पर उनके एक करीबी रिश्तेदार विक्रम गणेश ओक 2009 तक नंदानगर में रहते थे॰ पुरषोत्तम नागेश ओक ने अपने बचपन का ज़्यादातर समय उन्हीं के यहाँ बिताया था और इंदौर छोड़ने के बाद भी वे उनसे मिलने यहाँ आते रहते थे॰ विक्रम जी के फ्लेट की जगह कपड़ों का एक शो-रूम खुल गया है।विक्रम जी से जुड़े पवन त्रिपाठी और कुशवाह जी भी एक बार पुरषोत्तम जी से मिले थे। उनके मुताबिक ओक ने दस वर्ष तक ताज महल की बनावट, उसकी वास्तुकला और शाहजहाँ और औरंगजेब से जुड़े कई ऐतिहासिक संदर्भों का गहन अध्ययन करने के बाद ये दोनों किताबें लिखी थी॰
यूपी के पहले इंदौर में चला था बुलडोजर
उत्तर प्रदेश का पूरा चुनाव बुलडोजर के मुद्दे पर लड़ा गया पर बहुत कम लोग ये जानते है कि लूट- खसोट, अपराध और अनैतिकता की कमाई से आर्थिक साम्राज्य स्थापित करने वाले गुंडों के अवैध निर्माणों पर सबसे पहले इंदौर में ही बुलडोजर चला था। जुलाई 2017 में तत्कालीन डीआईजी हरीनारायन चारी मिश्रा ने पुख्ता कानूनी कार्रवाई कर कुछ गुंडों के अवैध निर्माण तोड़े थे। उसके बाद ये सिलसिला काफी समय तक चलता रहा।
इंदौर के जस्टिस ने 17 साल पहले दिया था मस्जिद से लाउड स्पीकर हटाने का आदेश
बुलडोजर की तरह लाउड स्पीकर का मामला भी इंदौर से ही आकार जुड़ता है। योगी जी ने अब जाकर धर्मस्थलों से लाउड स्पीकर हटवाए है पर इसकी शुरुआत सन 2005 में पटना हाईकोर्ट से हुई थी। उस समय वहाँ पदस्थ जस्टिस आरएस गर्ग ने मस्जिद से लाउड स्पीकर हटवाने का आदेश जारी किया था। जस्टिस गर्ग मूल तौर पर इंदौर के है और सेवानिवृत्ति के बाद अब यहीं रहते है।