ग़ज़ल
तेरी बातों का असर मुझमे आज भी रह गया।
ये सिलसिला कैसा है यादों का साथ ही रह गया।।
लगता है टटोला नहीं अपने मन को तुमने जाने के बाद।
जो तेरे सीने में धड़कता था, मेरे पास ही रह गया।।
तेरे जाने का गम, तेरे आने की खुशी से वास्ता नही मेरा।
तेरे होने न होने से फ़र्क़ पड़े, मैं वो इंसान नही रह, गया।।
कुछ खास लगाओ ज़िन्दगी से नही रहा, तेरे जाने के बाद,
दो-चार अपने साथ है और कोई खास नही रह गया,
उम्मीदें थी ज़िन्दगी से बहौत और तुझसे भी,
तक़दीर में लिखा अदा हो रहा..,ख्वाब-ख्वाब ही रह गया ।