सफ़र बहुत लम्बा है,
रास्ते कठिन है।
चुनना आपको ही है,
आगे बढ़ना है या रुक कर वापिस हो जाना है।
तुम जब आगे बढ़ने की सोचोगे,
मौसम मिज़ाज फिर बदलेगा,
घनघोर प्रलय घटायें उमड़ेगी,
ये तय आपको करना है,
डर जाना है या आगे बढ़ कर जीत जाना है।
है ये सफर आसान नहीं,
ये जानता हूँ मैं,
फिर भी अगर तुम साथ हो तो,
ये सफर करने को तैयार हूँ मैं।
अब निर्णय आपको करना है,
साथ छोड़ कर जाना है या साथ देकर आगे बढ़ जाना है,
दृढ़ निश्चय कर आगे बढ़ना है या डर कर पीछे लौट जाना है।
ये निर्णय आपको करना है।
ये निर्णय आपको करना है।
बनना है निर्मल पवित्र धारा सा या
बनना है ठहरे नदी किनारे सा,
बनना है जंगल का राजा या,
बनना है कोई प्यादा,
ये निर्णय आपको करना है।
ये निर्णय आपको करना है।
– दुर्गेश नंदन मेहरा